Thursday, 1 November 2012

.परलोक में ज्ञान वार्ता


Shri Bankim Chandra tried his best for his wife. He gives relief or solaces for her turmoil mood. This is common tendency after death especially between husband and wife.Although Bankim always comes for her but she was still under passible.Now here in this blog Bankim searches most interested event maker boy .Also introduces the place where all persons r drowned in water. Bankim was asked to search Parimal,a eleven or 12 years old boy. He also comes through his sister in East Bengal a place named Bogra .Parimal also gives the answer which asked by someone. The talks between both are very interesting.
  
Now further ………


'तुम लोग जो परिमल के विषय में सूचना चाहते थे ,उसको तलासने में मुझे परेशानी हुई ।उसका पता लगाने के लिए मै दो बड़े महात्माओं के साथ बाहर हुवा था । बहुत खोजने पर उससे भेंट हुई । यह धाम अनंत और असीम है । कहाँ कौन आत्मा रहाती है बताना कठिन है । जैसे पर्वतो पर प्रतिस्तावको पर मकान बने रहते है ,यह स्थान किसी अंश में उसी प्रकार का है ।जब हम लोग वहां पहुचे तो बहुत सी आत्माए आकर खड़ी  हो गई ।ऐसा ज्ञात हुवा की इन सभी आत्माओं ने जल में डूब कर शरीर छोड़ा था । यह उन्ही लोगो की भूमि है । 'परिमल' कहकर मेरे पुकारते ही एक गोरा लड़का मेरे निकट आया । इसकी आयु प्रायः 11 -12 वर्ष की है । 
मैंने कहा -'तुमसे कई बातें पूछनी है ।इसलिए मै यहाँ आया हूँ ।ठीक ठीक उत्तर देना ।'
यह सुनकर वह बोला - 'यदि आप लोगो से उस विषय में अधिक जानकारी होगी ,तो आप जो कुछ पूछेंगे उसका ठीक ठीक उत्तर दूंगा ?'
मैंने पूछा- 'तुम्हारा मकान बोगरा (पूर्व बंग ) था ? क्या वहां रहने वाली अपनी बहिन के माध्यम से तुम नाना प्रकार के प्रश्नों के उत्तर देते हो ?'
उसने कहा -'हा ।'
मैंने पूछा - ' सुना है तुमने मिटटी देकर मकान तय्यार किया है । यह मकान कैसा है ?'

यह सुन कर बालक और अन्यान्य आत्माए हंसने लगे ।
फिर बालक ने कहा -' आपसे मकान बनाने की बात कहता हु । उसका अर्थ आप समझ सकेंगे ,परन्तु पृथ्वी के तत्व ज्ञान हीन लोग इसे समझ नहीं सकते । उनमे शक्ति नहीं है .की इसका मर्म ग्रहण कर सके । ज्ञान ,भक्ति ,कर्म और विश्वास - यह लेकर ही मनुष्य का श्रेष्ठ जीवन है । यह धर्म का घर है ।भक्ति से उसकी प्राचीर और विश्वास से वातायन का निर्माण हुवा है । ज्ञान भक्ति विशवास ये सब एकत्र कर के भगवान् को पुकारने का उपाय करना पड़ता है , यही हमने किया है । किसी समय भगवान् का ध्यान किया जाता है ।इसको निर्धारित करने के लिए मैंने मन रूप घड़ा तैयार किया है । आप लोग महात्मा है ,अन्तर्यामी है ,आप तो जान सकते है की ज्ञान भक्ति पूर्वक ह्रदय भवन में भगवान को पुकारने से प्राप्ति हो जाती है ।'

यह सुनकर मै आश्चर्यान्वित हुवा । इतने छोटे अबोध बालक के मुख से ज्ञान धर्म के ये उपदेश वाक्य ! 

यहाँ एक मंदिर है । यहाँ एक सन्यासी रहते है । वे परिमल को बहुत प्यार करते है । यह सब उन्ही के उपदेश का फल है ।
इस स्थान में पर्याप्त परिमाण में फुल फल है ।जब इच्छा होती है स्वयं लिकर खाते है । मैंने देखा उसने ( परिमल ने ) फूलों को लेकर गद्दा तैयार किया है । यहाँ किसी प्रकार का कष्ट नहीं है ।बड़ा ही शांतिमय स्थान है ।'.....









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