The same feeling which we see on the Earth , works in the Heaven as we saw in the last.When someone lives without his family members.
Although we can not say the loneliness because he makes another company where ever he resides but the love and affection with them (earthly relatives where he took birth) produces the heartbroken feelings but one have to suffer it.There is rare solution for that problem.You will have to forget them or ignore them , very pitiable state for him as we saw in blog Memories.
Now in this he wandering many places and meets some new souls.He describes there class where they lives and the mantel state
'आज हम लोग बहुत स्थान देख कर के आये । एक स्थान में एक बालिका की आत्मा को देखा । कुछ कष्ट में है । पंचम स्तर में वास करती है । उसकी मृत्यु काशी में हुई थी । देहांत के समय शान्ति से प्राण त्याग नहीं कर सकी । इसीलिए उसकी आत्मा जड़ भाव में है और मन का भ्रम अभी तक दूर नहीं हो सका है । किसी को पहचान नहीं सकती । स्पस्ट रूप से देख नहीं सकती । इसीसे कष्ट होता है । मेरी बात सुनकर उसने मुझे पहचान लिया और मेरे पास आकर बोली ,' मुझे पहचानते है क्या ? मेरा नाम हेमंजनी है । में मन्टू की बहन हु । बन्धु बांधव हीन होकर यहाँ अकेली रहती हु । आपने जिस रोग से देह त्याग किया था ,मुझे भी वही हो गया था ' आप अति शीघ्र श्रेष्ठ स्थान पर पहुँच गये , में उन्नति नहीं कर सकती ,आप बता सकते है की इसका क्या कारण है ?'
मेने कहा केवल इश्वर चिंता करके मन का अन्धकार दूर करो । यह होने पर ज्ञान का प्रकाश होगा और पुण्य की ज्योति देख सकोगी । तुम्हारी आत्मा निर्मल होगी और प्राण में शांति आएगी । तब सब बंधु बांधव तुम्हे दृष्टिगोचर हो जायेंगे । किसी प्रकार अशांति नहीं होगी ।
इसके बाद दुसरे स्थान पर जाकर बहुत कुछ देखा । देख कर मन में आनंद हुवा ।
पायल नाम की एक लड़की ने मुझे देख कर कहा ,' आप जो नर लोक में जाते है , एक दिन हमको भी साथ लेकर चलिए । माँ को देख आउंगी । वह मुझे बहुत प्यार करती थी , मेरे लिए वह बहुत व्याकुल है । ' वह लड़की माखन की स्त्री है । शायद वह पहचान सकेगी । '
****************
' आज फिर प्यारे बाबू के साथ भेंट हु ई । बीच में छ सात दिन उनका दर्शन नहीं हुआ था । वे नवं स्तर में है । बीच बीच में आकर भगवान् की चर्चा कर हमे आनंद देते है । उनमे बहुत शक्तिया है । वे जब तक संसार में रहे भगवान् का नाम लेकर ही जीवन यापन किया । बालक बालिका को बड़े स्नेह से परिश्रम पूर्वक पढ़ाते थे ।
उचित अनुचित का विचार कर काम करते थे । विद्यार्थी उनको देवता की भांति पूजते थे । इसीलिए आज उनको श्रेष्ठ स्थान में वास मिला । उनके लडके से जीतनी बातें सुनने में आई वे आश्चर्य जनक है । इस समय इनकी असीम शक्ति है । इस लोक में यदि भगवान् को पुकार कर ह्रदय में आनंद मिले और किसी विषय में लक्ष्य न रहे तो उसका ह्रदय देवता के तुल्य हो जाता है । वह सचमुच देवता ही बन जाता है । '
Although we can not say the loneliness because he makes another company where ever he resides but the love and affection with them (earthly relatives where he took birth) produces the heartbroken feelings but one have to suffer it.There is rare solution for that problem.You will have to forget them or ignore them , very pitiable state for him as we saw in blog Memories.
Now in this he wandering many places and meets some new souls.He describes there class where they lives and the mantel state
'आज हम लोग बहुत स्थान देख कर के आये । एक स्थान में एक बालिका की आत्मा को देखा । कुछ कष्ट में है । पंचम स्तर में वास करती है । उसकी मृत्यु काशी में हुई थी । देहांत के समय शान्ति से प्राण त्याग नहीं कर सकी । इसीलिए उसकी आत्मा जड़ भाव में है और मन का भ्रम अभी तक दूर नहीं हो सका है । किसी को पहचान नहीं सकती । स्पस्ट रूप से देख नहीं सकती । इसीसे कष्ट होता है । मेरी बात सुनकर उसने मुझे पहचान लिया और मेरे पास आकर बोली ,' मुझे पहचानते है क्या ? मेरा नाम हेमंजनी है । में मन्टू की बहन हु । बन्धु बांधव हीन होकर यहाँ अकेली रहती हु । आपने जिस रोग से देह त्याग किया था ,मुझे भी वही हो गया था ' आप अति शीघ्र श्रेष्ठ स्थान पर पहुँच गये , में उन्नति नहीं कर सकती ,आप बता सकते है की इसका क्या कारण है ?'
मेने कहा केवल इश्वर चिंता करके मन का अन्धकार दूर करो । यह होने पर ज्ञान का प्रकाश होगा और पुण्य की ज्योति देख सकोगी । तुम्हारी आत्मा निर्मल होगी और प्राण में शांति आएगी । तब सब बंधु बांधव तुम्हे दृष्टिगोचर हो जायेंगे । किसी प्रकार अशांति नहीं होगी ।
इसके बाद दुसरे स्थान पर जाकर बहुत कुछ देखा । देख कर मन में आनंद हुवा ।
पायल नाम की एक लड़की ने मुझे देख कर कहा ,' आप जो नर लोक में जाते है , एक दिन हमको भी साथ लेकर चलिए । माँ को देख आउंगी । वह मुझे बहुत प्यार करती थी , मेरे लिए वह बहुत व्याकुल है । ' वह लड़की माखन की स्त्री है । शायद वह पहचान सकेगी । '
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' आज फिर प्यारे बाबू के साथ भेंट हु ई । बीच में छ सात दिन उनका दर्शन नहीं हुआ था । वे नवं स्तर में है । बीच बीच में आकर भगवान् की चर्चा कर हमे आनंद देते है । उनमे बहुत शक्तिया है । वे जब तक संसार में रहे भगवान् का नाम लेकर ही जीवन यापन किया । बालक बालिका को बड़े स्नेह से परिश्रम पूर्वक पढ़ाते थे ।
उचित अनुचित का विचार कर काम करते थे । विद्यार्थी उनको देवता की भांति पूजते थे । इसीलिए आज उनको श्रेष्ठ स्थान में वास मिला । उनके लडके से जीतनी बातें सुनने में आई वे आश्चर्य जनक है । इस समय इनकी असीम शक्ति है । इस लोक में यदि भगवान् को पुकार कर ह्रदय में आनंद मिले और किसी विषय में लक्ष्य न रहे तो उसका ह्रदय देवता के तुल्य हो जाता है । वह सचमुच देवता ही बन जाता है । '
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