Sunday, 4 November 2012

मृत्यु के बाद और अनंत जगत


This is very interesting that in the Heaven or Parlok the whole management r under the religious persons like Saints or Mahatmas as v have seen in last blog. All deeds r seen by them and classified the place for coming souls. He indicated that in the dream some soul comes for giving the massage. But all time the dream not becomes true due to anxiously mood of before sleeping. The soul comes in the form of shadow to his beloved one.
Also he alerts, time is very short use it to recognize the God when death will be at the door, no one could be able to do deeds related to heaven.
Now he says some thing which r related to that world.Like on the earth we see many planets or luminary in same track in the heaven there r infinity .Souls walks like film reel photos.Some time he himself can not understand what kind of place he got.He here takes in memory his wife,son and daughter on which he had the affection now they all r so far from his eyes.He has the desire to cut the attachment from.He himself amazing that his brothers and other relatives etc were beloved and now they r not here,how I (Bankim) am living without them.How I have the peace now !!. 

Now further in Hindi original first translation 

'यहाँ अनंत कोटि जगत है । उसकी संख्या नहीं हो सकती ।बायोस्कोप के चित्र की भांति सभी आत्माये चलती फिरती है । में देखता हु की सभी आत्माए मानो  मेरी अपनी है । अथच वस्तुतः मेरी कोई नहीं है । पूर्वजन्म की स्मृति मनो आँख के सामने जाग उठती है । में आत्म्हारा हो जाता हु । तुम लोगो के सामने क्या कहू ? कभी कभी में समझ नहीं पाता हु की ये कैसा स्थान है ? सभी आत्माए कहती है की ये शांति लोक है । वस्तुतः यहाँ बहुत शान्ति मिलती है । स्त्री पुत्र कन्या जिनके उपर इतना स्नेह था और जिनके बीमार होने पर चक्षु में अन्धकार आजाता था भगवान् को पुकारता था , आज हमसे बहुत दूर है । लेकिन फिर भी उनके प्रति आकर्षण है । उस माया से मुक्त होना चाहता हु । फिर उसमे बद्ध न हो जाऊ । आत्मीय, स्वजन भाई - सब को छोड़कर यहाँ आकर किस प्रकार शांति लाभ किया ,यही आश्चर्य है ! डर होता है की बार बार नरलोक में जाने से फिर कही  माया में आबद्ध न हो जाऊ ? इसीलिए यहाँ आते ही   महात्मा ने  द्रव्य खिला दिया था जिससे माया वा मोह में लिप्त न हो जाऊ और फिर जन्म न लेना पड़े । हे भगवान् इसी प्रकार हमारी रक्षा करना और श्री चरण में स्थान देकर शांति प्रदान करना ।
यहाँ की सभी आत्माए किस प्रकार रहती है यह समझा दूंगा । पृथ्वी में जैसे अनंत ब्रह्माण्ड है ,उसी प्रकार यहाँ अनंत कोटि जगत है । कहा किस महात्मा का अवस्थान है ? कहाँ कोन महात्मा रहता है ?  यह अभी तक जान नहीं पाया हु और बता भी नहीं सकता । जब इन लोगो से मिलते है तब उनके मुख से थोडा थोडा सुन पाते है । में नूतन आत्मा हु ,नूतन देश में आया हु  कुछ दिन वास करने पर ही उनलोगों का कर्म ग्रहण कर पाऊंगा ,तब तुम लोग जान सकोगे ।'  









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