' एक दिन हम लोग एक अन्य स्थान में गए । यहाँ भी प्रकाश है । कई लोग यहाँ रहते है । यहाँ धर्म की ही आलोचना होती रहती है । हम भी एकत्र होकर धर्म बारे में गूढ़ चर्चा करने लगे । यह स्थान बड़ा सुन्दर है ।थोड़ी देर बाद दिखाई पड़ा की एक आत्मा हमारे निकट उपस्थित है । उसको जब हम जीवित थे तो पुत्र की भांति स्नेह करते थे ।बीमारी तथा जीवन की सभी अवस्थाओं में उससे सहायता पाता था । वह भी हम पर पिता की भाँती भक्ति करता था । उसका नाम है सुरेश सर्वाधिकारी * । उनको देखकर बहुत आनंद हुवा । फिर जब रमेश चन्द्र ,तिनकरिपाल और अतुल बाबु भी वहा मिल गए । इन्हें देख कर मैंने सोचा , ' बड़े आनंद और शांति का स्थान है ।कभी जब धरती पर जीवित था , जिनके साथ एक दिन नहीं रह सका , भयंकर रोग हुवे बिना जिस डाक्टर सुरेश को बुला नहीं सका ,उसीके साथ आज हम लोग एक स्थान में वास कर रहे है । हा मृत्यु तुम कितनी शांति मय हो । लोग न समझ करके ही तुमसे डरते है । इन लोगो ने आकर हमसे हाथ मिलाया और मेरा नाम लेकर कहा , 'बंकिम बाबु ! तुम अच्छे हो न ? तुम्हारे सम्बन्ध में हम लोग प्रायः चर्चा करते है । तुम और कुछ दिन पृथ्वी में रहते तो लोगो का बड़ा उपकार होता । असमय में ही तुम आगये । '
मैंने उत्तर दिया -'क्या मृत्यु को समय असमय का विचार है ? जब भी प्रभु कहते है या स्मरण करते है यह कार्य सिद्ध होजाता है । पृथ्वी में जितने दिन रहा जाये ,उतने ही लोग कुसंग और कुकर्म में लिप्त रहते है । उसके फलस्वरूप स्वर्ग द्वार रुद्ध हो जाता है । मै सोचता हु हम ठीक समय पर आये है । आप लोगो की ही मृत्यु असमय हुई है । डाक्टर सुरेश के आने से कलकाता में बहुत हानि हुई है । ये कुछ दिन और धरती पर रहते तो अच्छा होता ।इनके आभाव में ही रोग के भय से हमारी शीघ्र मृत्यु हो गई ।इस मृत्यु ने ही मुझे मुक्ति दी है ।'यह सुन कर वे हंसने लगे और परिहास करते हुवे बोले , ' अब बीमार होने पर तुम्हे मृत्यु भय नहीं रहेगा , क्योंकि डाक्टर सुरेश सशरीर तुम्हारे पास उपस्थित है । '
मैंने कहा , ' हमे अब मृत्यु भय नहीं है । हम लोग अब अनंत धाम के मुक्त जीव है , यहाँ डाक्टर का प्रयोजन नहीं है ।भगवान् का नामगान ही जीवन का महा ओषध है । '
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* Shri Suresh sarvaadhikari was a famous Doctor in Calcutta. His brother was Vice chancellor of Calcutta University .
----- Bankim Chandra was an advocate in Calcutta high court. His wife smt Magnmayi devi had occult activities from her childhood and after maturity she became fame in Calcutta. After the death of Advocate Bankim she made connection with him. Bankim used to come and meet her. All details which we here posting were written in Bengali language through widow wife by Bankim.It was translated when a learned yogi met her copied in a bundle of papers. Here in series original first converted language is being posted.
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