Friday, 16 November 2012

After the death awakening the understanding


In the previous blog named ‘A good Doctor’ we have seen that Bankim went a place where he meets his friend, Doctor Suresh who was very good in nature when lived on the earth. Suresh used to behave like father with Bankim Chandra. Bankim also had love like a own son. Suresh always helped Bankim on every occasion. We saw they all behave first time shaking hands when meet likely earthly man.Some time enjoy or entertain and joking in the memory of earthly life.
Bankim satisfied with his death time when he was said that you came here too early. He sees the mercy of God or Death when freed from horrible disease cancer. When he was on the last stage of death he had one side the horrid pain of the wound of cancer and other side the fear of Death. Mostly it is a question in human mind what would be after the death; he feels alone, no one is with him. His own deeds also make a state of fear in which he always ignored .He says about that on the earth if someone gets long life man always feels in net the of evildoers or evil circumstances which blocks the way of heaven.He says the fear of death is only the ignorance about the death, the place where one can say fear-proof. No any cause of fear in the place where someone arrives after the death.Now what is further ..........
 
' मैंने देखा उन लोगो की आत्मा ज्योतिर्मय है  और उनके मुख पर शांति की छाया है ।इससे हमे बहुत आनंद हुआ । डाक्टर सुरेश को कुछ दिन पहले ही पता चल गया था की उनकी मृत्यु निकट है । इसलिए उन्होंने वसीयतनामा लिखा कर रख दिया था । अपने एक छात्र से उन्होंने कह भी दिया था ,किन्तु उन लोगो की समझ में ये बात आई नहीं । मृत्यु का पूर्वाभास इने गिने लोगो को ही मिलता है । प्यारे बाबू को भी इसका ज्ञान हो गया था । परन्तु मै अंतिम समय पर्यंत समझ   नहीं पाया की मेरी मृत्यु इतनी निकट है । जीने की आशा बनी ही रही ।
मैंने यहाँ आकर पहले ही माया का उच्छेद करने की चेष्टा की ,परन्तु कर नहीं सका । इसिलए भगवान् को पुकारा की माया बंधन कर जाये । उन्होंने मेरी प्रार्थना सुन ली है । मै अत्यंत शीघ्र ही सब माया मोह ,स्नेह प्रेम आदि के सम्बन्ध से मुक्त हो गया हु । आज पौष माह का चोथा दिन है ,ठीक ऐसे ही दिन मेरे सभी कष्टों का अवसान हुआ था । मै भव धाम को छोड़ कर अनंत धाम का जीव बना । भगवान् विश्वं=नाथ ने अपनी स्नेहमयी गोदी में मुझे उठा लिया । इससे मेरी शांति हुई ,परन्तु जिस देश से इस देश में आया हूँ ,उस देश में हा हा कार उठ रहा है ।मैं उनलोगों को चिर जन्म के लिए छोड़ कर आया हूँ ।अब मेरी कोई कामना या चाह नहीं है ।सब विषयों से अतीत होगया हूँ । अब सब कुछ स्वप्नवत प्रतीत होता है । पहले समझते थे की किसी अपरिचित स्थान में जाऊँगा और मृत्यु के बाद किसी को देख नहीं सकूँगा  । एसा भाव उठा था कि कुछ न कुछ दंड अवश्य मिलेगा । ये समझ कर व्याकुल हो जाता था : परन्तु अब देख रहे है की इससे अधिक शांति और कहीं है ही नहीं , हे भगवान् ! तुम्हारी लीला अपार है ।'
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-----  Bankim Chandra was an advocate in Calcutta high court. His wife smt Magnmayi devi had occult activities from her childhood and after maturity she became fame in Calcutta. After the death of Advocate Bankim she made connection with him. Bankim used to come and meet her. All details which we here posting were written in Bengali language through widow wife by Bankim.It was translated when a learned yogi met her copied  in a bundle of papers. Here in series original first converted language is being posted.



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