In the previous blog we looked that a boy Parimal who also comes in his house through his sister and gives the answers , Bankim meets him and talks about the matter of Home making.
Now here in this blog we r giving about the Death also.First he says that a spouse died and came here recently, these r rare cases that both couple dies together and come here in the heaven.
He disclose here how passed soul comes in the dream and why.
Working of dream he himself clears.
And about the time of death some souls of Heaven active and do their best for coming soul.After coming here the Saints or Mahatma of the Heaven manage to send them likely places.
See what is in this blog.....
' पांच दिन हुवे किसी पति पत्नी की आत्मा यहाँ आई है ।दोनों एक ही दिन एक ही साथ मरे थे ।इस प्रकार की पवित्र आत्माए यहाँ कम आई है ।उनकी ज्योतिर्मय आत्मा को देख कर भक्ति होती है ।भगवान् ने उन्हें उत्कृष्ट स्थान प्रदान किया है ।सती स्त्रियाँ निज धर्मं पुण्य के बल से सब विषय में आनंद पाती है ।इन लोगो का फिर जन्म नहीं होगा ।
हे जीव गण ! संसार के जाल में आबद्ध न रहो । समय रहते रहते भगवान् की पहचान कर लो । क्योंकि जब मृत्यु वेला निकट आएगी तब किसी को पहचानने नहीं देगी । देह निस्तेज चक्षु ज्योति हीन और मुख वाक्शुन्य हो जाएगा । अभी से थोडा थोडा माया का बंधन काट डालो ,जिससे बंधन छुट जाए ।
मुझे जब रोग हुआ , उसके कुछ समय पहले केवल मृतात्मा को स्वप्न में देखता था । वह स्वप्न सत्य हो गया ।राजू की स्त्री भी मृत्यु के कुछ पहले ऐसा ही स्वप्न देखती थी । सब स्वप्न अलीक नहीं होते ,कोई कोई सत्य हो जाते है । जब जीव गंभीर निद्रा में मग्न हो जाते है , तब आत्मा देह छोड़ कर शुन्य मार्ग में घूमता है ,उस जगत की आत्माओं के साथ बातचीत करता है ,ये सब विषय मृत्युलोक की आत्माओ को स्मरण रहते है । जब आत्मा लोट कर देह में प्रविष्ट होजाता है , उस समय वे बातें उसकी स्मृति में उदय होती है ,जो विषय वे स्वप्न में देखते है ।किन्तु मनुष्य निद्रा के पहले जिस बात की चिंता करके,यदि वाही स्वप्न में देखता है ,तो वह अलीक स्वप्न है । जिस व्यक्ति के लड़का लड़की या अन्य किसी स्वजन की मृत्यु होती है ,उसकी आत्मा अपने प्रिय जीवित व्यक्ति को देखने के लिए छाया के रूप में आती है । उसको स्वप्न में देखकर कोई चौंक जाते है । ये इस जगत को छोड़ कर उस जगत में जाने पर भी महामाया के प्रभाव से मुक्त नहीं हो सकते । शोक दुःख दुश्चिन्ता ग्रस्त व्यक्ति के लिए निद्रा ही शान्ति है । इस निद्रा के भीतर भी उन्हें व्याघात हो जाता है । जिन लोगो के मन में शोक कष्ट नहीं देसकता ,मै जानता हु भगवान् उनके प्राण में शान्ति देते है और शान्तिदायिनी माँ उनकी सहायक होती है ।जब उसकी मृत्यु होती है तब ये सब आत्माए जाकर उस आत्मा को इस शांति लोक में ले आते है ।जिस समय मनुष्य की मृत्यु आसन्न है , उसके पहले से ये आत्माए उसकी प्रतीक्षा करती है । जब आत्मा बाहर निकल जाती है ,तो परलोक की ये आत्माए उसे यहाँ ले आती है और बड़े बड़े महात्मा व्यवस्था करके , जिस श्रेणी के जो योग्य होता है उसे वहा भेज देते है । '..........
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