Tuesday, 6 November 2012

After the Death

'Ashantasya kutah sukham' Krishna says in Geeta. One who is in hurry or lives in unquite state can not find the happiness.The same event Bankim Chandra finds. Hemanjani died in Kashi that time she was in turmoil ( ashant) state so she still getting the state of ignorance.She asks to Bankim that how would she be able to get higher state from this level.He says she is in fifth layer.Other side he introduces a person Pyare babu who is in ninth layer.(it is not clear what is basic behind the layers) Shri Pyare when lived on the earth had good virtues.He was good teacher and performed his duties well. .His students worshiped like a diety. So he keeps many spiritual powers within
Now futher........
       
 "मुकुल नाम की लड़की यहाँ आई है । वह बहुत छोटी है ,प्रायः अपने दादी और दादू की बात पूछती है ,में उसको एक दिन साथ लेकर दादी और दादू को नर लोक में दिखा कर ले आया ।
यहाँ दो श्रेणी की आत्माए है - जो लोग जल में डूबकर मर जाते है और जो लोग आत्महत्या करते है । जो लोग देववाणी के सदृश माँ की पुकार सुनकर ,आत्महत्या करते है उनकी मुक्ति शीघ्र होती है : किन्तु जो लोग क्रोध के वशीभूत हो कर आत्महत्या करते है उनकी मुक्ति देर से होती है । ये लोग पारलोकिक जीवन में कष्ट पाते है इन्हें पहले नरक में घोर यंत्रणा भोग करना पड़ता है , जिनकी जल में मृत्यु हुई है उनकी दूसरी व्यवस्था है । यहाँ उन लोगो का शिव मंदिर है ।उस स्थान एक बड़े सन्यासी रहते है । यह उन सब को शिष्य बनाकर रखते है । फल मूल खाने को देते है । वे लोग परम शांति में रहते है । महादेव की सेवा करते करते अंत में उद्धार होता है ।

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' आजकल कई दिनों से एक आत्मा के साथ मेरा परिचय हुवा है । ये फिरोजपुर में वकील थे । थोड़े दिन पहले मृत्यु हुई है । इनकी मृत्यु शांति से नहीं हुई थी । इसलिए कुछ अशांति में है । इस समय वे तृतीय श्रेणी में वास कर रहे है ।ये ऋण के कारण से आबद्ध है । यदि भगवान् किसी समय बंधन से मुक्त करे ,तब शांति पायेंगे । मृत्यु लोक में रह कर लोग केवल रुपये के लिए ही व्यग्र रहते है । भगवान् को कितने लोग पुकारते है ।स्त्री पुत्र मान सन्मान कुछ भी साथ नहीं जाता ।
 केवल भगवान् का नाम ही साथ जाएगा , जिस नाम से सब प्रकार का पाप नष्ट होता है और आत्मा पवित्र होती है ,वही मुख्य नाम है । उसके जप से अनंत धाम में फिर कष्ट पाना नहीं होता । उसी नाम का आश्रय ग्रहण करो । देखोगी दोनों लोको में शान्ति है ।"

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आज में एक स्थान देख कर आया हु । कितनी छोटी छोटी आत्माए थी । उनके जीतेन्द्र के लड़के को भी वहा देखा ।  वे केवल हरी नाम गान करते है । रामायण महाभारत की कथा सुनते है । मुझको देख कर उसने कहा -'आप एक दिन मेरे माता पिता और दादी को दिखा दीजिये ।' मैंने उसको साथ लाकर दिखादिया है । उसे बीच बीच में अपने दादा के साथ बात करते देखता हु , शांति में है । शीघ्र और भी उन्नति होगी । यदि भगवान् में एकांत मन रहे उन्नति में देर नहीं लगती । चाहिए केवल भक्ति ,विश्वास और दिन रात उनका नाम कीर्तन ।




 

                                                                                                                                                                                                                        

 

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