All ready mentioned about a part of Ninth svarga or heaven where artistic nature of man like kavi Rajnikant , Maical Madhusudan etc like person r residing .He said about the place also.This place spreading light likely to the sky.
Now here he says about the new place from where earth is looked or appeared, Here what about the people of the earth , the thought and why the rays of Earth looks very dirty , said.
We r amazed that what our earth have the Image , not better !!
' एक दुसरे दिन ये आत्माए मुझे एक अन्य लोक मेंसे ले गयीं थी । यह विचित्र स्थान है । यहाँ से मृत्यु लोक दिखाई पड़ता है । उन्होंने कहा - ' इन सव उज्वल ज्योतियों के भीतर इसे अत्यंत कष्ट से पहचाना जाता है .इस सामान्य तथा तुच्छ स्थान में मनुष्य वास करते है । ये लोग प्रेम नहीं जानते । मुख से कहते है प्यार करता हु ,किन्तु मन में घृणा करते है पद्म पत्र के जल जैसा उनका प्रेम चंचल है । इनलोगों के लिए अर्थ ही भगवान है ,और धनलाभ की चेष्टा ही धर्म है यहाँ यथार्थ ज्ञानी ,आहार के आभाव से मृत्यु मुख में पड़ते है चापलूस ,प्रवंचक ,अज्ञानी ,और मिथ्यावादी सब के ऊपर प्रभुत्व करते है । ये सब लोग ब्रह्माण्ड के रहस्य को नहीं जानते । जो लोग कहते है की जानता हु वे ठीक बात नहीं कहते । कुसंस्कार की मिथ्या धारणा है प्रति पद में लांछित और उपहास्पद होते है । यहाँ धर्म का वास्तविक आदर नहीं है ,धर्म बहुमूर्ति है । एक दुसरे के उच्छेद साधन की चेष्टा करते है । एक जाति दूसरी जाति को समाप्त कर देना चाहती है ।'
मैंने कहा ,- ' देव , क्या पृथ्वी में कभी परिवर्तन नहीं होगा ? '
वे बोले , - ' इस प्रकार के भाव से ही पृथ्वी गठित है । गंभीर जड़ के बंधन से बंधी हुई है । इस स्थान में जीव जैसा कार्य और चिंता करते है ,उसी प्रकार उन लोगो की आत्मा इस ग्रह लोक में आकर रहती है । '
यहाँ से फिर और भी उर्ध्व में एक दुसरे स्थान में गए । यहाँ की आत्माए अति सुदर है । उनके आलोक से चारो और प्रकाश ही प्रकाश है । यह स्थान एक मालाकार रम्य उद्यान की भांति है । पूर्ण रूपेण ज्योत्स्ना से भरा हुवा ।
उसके सामने पृथ्वी के ज्योत्स्ना अत्यंत मलिन प्रतीत होती है ।
शतसहस्र शरदकालीन पूर्ण चन्द्र की ज्योत्स्ना भी इसकी तुलना में नहीं आसकती । ज्योत्स्ना के ही पक्षी ,वृक्ष की शाखाओ पर बैठ कर सुमधुर गान कर रहे है । ज्योत्स्ना का ही जलाशय है ,कमल है , यह ज्योत्स्ना के जल में तैर रहा है । यह स्थान बहुत पवित्र और शांतिमय है । इस प्रकार का सुरम्य सौरजगत कभी नहीं देखा । हे भगवान् ! तुम धन्य हो जो इतना सुदर जगत बनाया । '
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Bankim Chandra was an advocate in Calcutta high court. His wife smt Magnmayi devi had occult activities from her childhood and after maturity she became fame in Calcutta. After the death of Advocate Bankim she made connection with him. Bankim used to come and meet her. All details which we here posting were written in Bengali language through widow wife by Bankim.It was translated when a learned yogi met her copied in a bundle of papers. Here in series original first converted language is being posted.
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