Tuesday, 30 October 2012

मृत्यु के बाद 7 (कुछ स्त्री के लिए )


After the death the soul whenever comes on the earth the furious rays of the sun he cannot tolerate. As in our previous post Bankim says he now habituates to live in the rosy light which we see on the earth before the sunrise or when sun goes to set in west. The sky looks beautiful shining with reddish colored.
He indicated that some souls live in the place where they always cry and feel very helpless. They ask every coming soul about the freedom from this place or go higher. They are in sorrowful state.
He introduced Ramkrishna Paramhansa in last blog.Ramkrishna always walks everywhere for preaching and gives support to rise from present state.He actually takes rest in the Brahm-Loka.
Sleeping state is completely absent there. Some time fruits may be taken. Pillow and bedding r of flowers.
 Now he is saying about his wife......

' इस समय मुझे एक बात से कुछ अशांति होती है और बीच बीच में गुप्त रूप से आकर उसको लक्ष्य करता हु ।मेरी स्त्री मानसिक रूप से अशांत हो कर कष्ट पारही है ।स्वामिहीन स्त्रियों का है ही क्या ? परन्तु उनको (मग्न्मयी देवी ) को नहीं होना चाहिये । क्योंकि वे स्मरण करते ही हमारा दर्शन पा जाती है । तब उनको स्वामी के लिए शोक करना उचित नहीं । वास्तव में तो उनकी दृष्टी में तो मेरी मृत्यु हुई ही नहीं । जब वे इच्छा करते है तब देख सकती है ।तब शोक करने का कारण क्या है ? मुझे मृतात्मा समझ यदि उन्हें शांति न मिले तो उनके पास जो लोग कातर हो कर आते है उन्हें कैसे सांत्वना मिलेगी । वे लोग जानते है की मृत्यु होने पर सब कुछ समाप्त हो जाता है । किन्तु वास्तव में आत्मा की मृत्यु नहीं होती ,इससे वे अनभिज्ञ है । अज्ञान अन्धकार में पड़े ये लोग हा हा कार कर रहे है ।यहां इस समय इन लोगो की स्थिति कुछ अनुभव में आई । पृथ्वी में जो आत्मा को पहचानती है ,उस स्त्री(मग्न्मयी)  के पास सब लोग सांत्वना के लिए आते है यदि वही दुखी रहेगी तो उन्हें ढाढस कोण बंधायेगा ?पृथ्वी में रहते समय में उनका पति था ।में अब भी वर्तमान हु । साधारण लोगो की दृष्टी में मै मृत हु ।उनकी दृष्टी में मृत नहीं ,सदा जीवित हु ।में उनके निकट मृत नहीं हु । इस लिए दो तीन बार आकर धर्म कथा सुनाता हु ।सांत्वना देकर शक्ति संचार करता हु । तब फिर क्यों इतनी अशांति है ?.....









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