Monday, 29 October 2012

After the death some thing new to us


In our last blog the soul of Sri Bankim Chandra says something about the earthly people who always keeps in mind that after the death there would be no link from this life or it does not continue further, He denies. He says leaving physical body may bring changes but this change does not effect to the nature or character of the person .These remains safe. Every soul gets the fruits accordingly to the deeds.

He gets satisfaction because the arrangement of the universe According to him If u get the punishment here on the earth then it may be reduced in coming punishment .He himself had the incurable disease cancer and got insufferable pain continued since one year. The place he got which was full of bliss and peace he could not imagined being  here due to lake of good karmas. But he is residing in that beautiful  enlightening place. He confesses that he was in greed of money and many innocent people were hanged by false witness.He never thought about good or bad, justice or injustice in behavior in earthly life.


He indicated about the new souls who came there, in which two foreigners and Bengali including Hindustanis.

Now here he is saying about the classified living places where the different kinds of souls are residing.

Here most interesting Divine person Ramkrishna meets and he becomes his disciple .He can go every where or classified places whether these are divine or non divine places
' यहाँ विभिन्न प्रकार के देश है , परन्तु उनमे रहने वाले लोगो की व्यवस्था कैसी है ,यह समझना कठिन है । एक  एक स्थान में एक के प्रकार की आत्मा का वास स्थान है । द्वितीय श्रेणी में आत्माओं की संख्या अधिक है ।नाना   प्रकार के पाप पुण्य के दंड भोगादि यहीं होता है । इसी स्थान पर सब निज कृत कर्म का फल भोग रहे है ।कोई कह रहें हैं -  ' क्षमा करो ! अब एसा काम नहीं करेंगे ।' कोई कहते हैं - हे पिता !यदि जन्म हो तो तुम्हरी सेवा मन, वचन, काया से करूँगा ,कभी अवज्ञा नहीं करूँगा ।' कोई कोई ऐसा कहते है ,'दुसरे के गले में छुरी देकर उनका सर्वस्व अपहरण नहीं करूँगा ।' 
' यह सब ह्रदय विदारक दृश्य देख कर आँख में आँसु आजाते है । यही जीवन का परिणाम है । मरने के बाद भी इन लोगो की रक्षा नहीं है ।  पृथ्वी में किये कर्मों का फल यहाँ भोग रहे हैं ।
' कभी कभी में इन निम्न श्रेणी की आत्माओं के निकट जाकर बैठता हु ।  मुझको देख कर ये लोग आनंद में जय ध्वनी करते है । बीच बीच में हरी नाम गान करता हु ।  इससे इन लोगो को भी आनंद होता है ।कभी कभी इनके मस्तक पर कर स्पर्श करता हु ,और सांत्वना देता हु । मेरी बात सुनकर वे प्रसन्न होते है ।
' सत्य बात सुनो यहाँ फल फुल से वृक्ष सदा अवनत रहते है । कभी कभी इच्छा होने पर दो एक फल लेले ता हु । बिना खाए काम नहीं चल सकता , ऐसी बात नहीं है । 
' हम लोग पुष्प के बिछोने और पुष्प के तकिया पर विश्राम करते है ।
' इस लोक में निद्रा नहीं है ।
' पृथ्वी पर सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय जैसा रक्तिम  प्रकाश चतुर्दिक होता  है । यहाँ सभी समय इसी प्रकार की आभा रहती है ।
' पृथ्वी पर आने पर मझे सूर्य का प्रकाश सहन नहीं होता । यहाँ का स्निग्ध शीतल  अलोक हमको प्रीति देता है ।

' ज्योतिर्मय पुरुष महात्मा रामकृष्ण देव कभी कभी यहाँ आकर धर्म ज्ञान भक्ति विषयक उपदेश देते है । कितना मधुर उनका व्याख्यान है ,कितनी मधुर उनकी मूर्ति है । मानो साक्षात सदानंद शिव है । देख कर मन प्राण में शांति लाभ होता है । साथ ही साथ मेरा समस्त सूक्ष्म देह आश्चर्य रूप से परिवर्तित हो जाता है । इसलिए उनको भगवान् कहने में भी अत्युक्ति नहीं होगी । इन्होने मुझको दीक्षा दी है । शिव की भाति  ये भी जगद गुरु है ।ये ब्रह्म लोक में वास करते है । ये इच्छा अनुसार सभी लोको में विचरण कर सकते है ।

' इनकी(रामकृष्ण ) भी मृत्यु हुई थी । इन्होने भी विषम रोग की यंत्रणा भोग किया था । देह धारण करने पर इनका भोग ग्रहण करना ही पड़ता है । व्यधिगत यंत्रणा तो है ही ,इसके बाद मृत्यु । मृत्यु शब्द सुनने से ही भय होता है .किन्तु यह वस्तुतः भयप्रद नहीं है ।
जिन लोगो के ज्ञान चक्षु है , वे आवरण को भेद कर इसे देख सकते है ,की मृत्यु कितनी शांति मय  है ।
जो लोग यह नहीं कर सकते वे ही अन्धकार में डूबे रहते है ,और भय से हाहा कार करते है ,जैसे मैंने किया था ।










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