Wednesday, 5 December 2012

After the Death......Belief is only the way to heaven

In this rare written papers which r being posted in serial ,now about to finish Bankim says about the duel cycle in our life.He says if one is present then surely it will follow to its next. If u have taken the birth then death is compulsory event.If u meet some one he will depart also,if u renounce then there will be easement also, likely ambition follows the suffice etc .He says about Anand Dham or Satyloka where some great personalities r living like Dr.Mahendra Lal Sarkar,Gurdas Benerji, Kalidas ,Amichand Khan,Btijkishore Rai etc.He says here in this blog, duty is must,it is only the way for real life.He says to live in false or pseudo  is actually poison to get heaven.He says about Ramkrishana some thing that he was God and incarnated on the earth tree times.But people could not know him.He also indicates here that believing(belief) is the way of heaven,it is only the key. 
"मै सत्यलोक में गया था । उसको आनन्द धाम कहा जाता है ।यहाँ की आत्माए सब प्रकार के आलोक से आलोकित है ।वे मिथ्या को विष समझते है । धर्म की जय ही करते है ,भगवान् में विश्वास नष्ट नहीं किया वही लोग इस लोक में वास करते है । उनके मुख में सत्य का आलोक है ,मधुर भाषी है ।
इस लोक में डाक्टर महेन्द्र लाल सरकार ,गुरदास बनर्जी ,कालिदास ,अमीचंद खान ,बृजकिशोर राय बहुत से महात्मा वास करते है ।इनलोगों का उपदेश अमृतवत है । ये लोग कहते है धर्म ही मनुष्य का यथार्थ जीवन है ।जो धर्म -रक्षा कर सकते है वे मनुष्य नहीं देवता है ,शोक -दुःख से मुग्ध न होकर भगवान् को पुकारना ही शांति का साधन है ।संसार में वियोग ही संयोग , मृत्यु ही जन्म ,निराशा ही आशा ,आकांक्षा ही तृप्ति,त्याग ही भोग ,अंत ही आदि आभाव ही शक्ति और विच्छेद ही मिलन है । जान लेना अभी जो कुछ भी कहा है उसमे कुछ भी मिथ्या नहीं है । इस समय ये महापुरुष समय से अतीत है । किसी प्रकार की भोग वासना नहीं है । अंत समय में उनकी स्नेह मयी गोदी में वास कर रहे है । इन शिशु स्थानीय महात्माओं को में शतसहस्र वार नमस्कार करता हुं ।"..............
यहाँ पति पत्नी दोनों प्रकार की आत्माए है ।इनलोगों का सूक्ष्म देह दिव्य ज्योतिर्मय है ।मुह पर शांति की हंसी है । विच्छेद के अनंतर मिलन से उनमे महान शांति और आनंद है । यहाँ सत्य की महिमा और धर्म का जय गान होता रहता है । इन महात्माओ से मिलकर में चंद्रलोक गया था । ठाकुर रामकृष्ण ,महात्मा विजय कृष्ण और उनके भक्तो के साथ साक्षात्कार हुआ । ठाकुर की देह मानो शतसहस्र किरणों से उद्भासित है ।वे और अन्य भक्त सांसारिक जिवगण जैसे उन्नति लाभ करेंगे उसी के विषय में चर्चा करते रहे ।भक्त गण जो कुछ भी कहते है ,वह सुनने योग्य है । रामकृष्ण तीन बार मृत्यु लोक में तुम लोगो के बीच आविर्भूत हुए थे ।यह वहा की बात है उनलोगों का कहना है ।उनके जो अतिप्रिय भक्त है वे विशेष रूप से इनको जानसके थे । लड़के लोग ठीक ठीक भक्त न होने परभी ठाकुर समझ कर उनका जयगान कर धन्य हो गए थे ।
जो लोग चित्त में संशय उत्पादन कर विशवास हीन  हो गए थे ,उनको दुःख हुवा था । रामकृष्ण स्वयं भगवान स्वरूप है ,वे आविर्भूत हुए थे यह भी सत्य है । परन्तु मानव का क्षुद्र मन सहजतया इस पर विशवास नहीं करना चाहता है । यह बहुत ही दुःख का विषय है । लोगो का विश्वाश ही स्वर्ग का पहला सोपान है । जिसका जैसा विशवास है उसका वैसा ही फल होगा ।छल पूर्वक विश्वास करने से धर्म नहीं होता ।
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----  Bankim Chandra was an advocate in Calcutta high court. His wife smt Magnmayi devi had occult activities from her childhood and after maturity she became fame in Calcutta. After the death of Advocate Bankim she made connection with him. Bankim used to come and meet her. All details which we here posting were written in Bengali language through widow wife by Bankim.It was translated when a learned yogi met her copied  in a bundle of papers. Here in series original first converted language is being posted.





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