Sunday, 2 September 2012

क्या चुने अमृत या मृत्यु ...!


जीवन के बारे में विचार करते है तो जन्म मृत्यु एक आवश्यक घटना चक्र प्रतीत होता है   जिससे बिरले पुरुष ही निकल पाते है।
मृत्यु के बाद का चक्र क्या है  इस पर व्यक्ति के जीवन भर का लेखा जोखा ही मार्ग तय कर ता है।
अमृत और मृत्यु दो शब्दों पर ध्यान देंगे तो रहस्य ज्ञात हो सकेगा
वैदिक मान्यता के अनुसार विश्व में तीन पदार्थ नित्य है  इस्वर  आत्मा और पृकृति ।
ईश्वर  का ॐ नाम विख्यात है ।तीन शब्द है अ उ म ।इन तीनो से मिलकर ओम  बना है । अ परमात्मा का संकेत करता है तो उ आत्मा का तथा म प्रकृति का बोधक है ।
उ आत्मा जब विश्व में कर्म करते हुवे सांसारिक पदार्थो को महत्ता  देता है  उसके लिए म यानी प्रकृति मुख्य  है
ये मनुष्य प्रकृति को आगे रखने वाला कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं । उसके लिए वही सत्य पदार्थ है
हम देखते है मृत्यु शब्द ।ऋत  से अंग्रेजी का राइट शब्द बना है अर्थात उसीको ठीक समझाना ।
म + ऋत +यु =मृत्यु ।
उनलोगों की निश्चय ही मृत्यु होती है जो म को आगे रख कर वही  'ऋत " सत्य है मान कर 'यु '  यानि जुड़े रहते है ।
तात्पर्य है की म यानी संसार के पदार्थो में आसक्ति उसे इस  मृत्यु के चक्र में डाले रहती है । भीषण यातना का शिकार होता है ।
दूसरी स्थिति है अमृत की । इस के बारे में विचार करे तो ज्ञात होगा ये लोग परमशक्ति इश्वर को सर्वो परि  मान कर चलते है ।
अ +म +ऋत ।
इस शब्द से यह ज्ञान होगा ।
अ अर्थात भगवान या अज्ञात  चेतन सत्ता । इस अमृत शब्द में सबसे आगे रखा है " अ " इसके पीछे है म यानी सांसारिक पदार्थ ।
संसार के पदार्थो की आवश्यकता  सभी को रहती है वह अमृत प्राप्त करने वाले भी रखते परन्तु वे इश्वर को प्रधानता देते है । ये ही लोग योगादि आवश्यक क्रियाए करते है और दुनिया में विचरते है ।
यहाँ ऋत का तात्पर्य वही सत्य  जिसके लिए ।
यह आश्चर्य ही है ये शब्द अमृत और मृत्यु दो नो में मोजूद है ।
सो हम किसी के जीवन को देख कर अनुमान लगाना चाहे तो  मुश्किल नहीं ।
मृत्यु का चक्र उन लोगो को जकडे रहता है जो उस परम सत्ता की अवहेलना करता हुवा जीवन पूरा करता है ।अपने अहम् के वशीभूत लोक में सभी के दुःख का कारण बनता है तथा परलोक में उस नियंता से प्रताड़ित होता हुवा अनेको योनियों में अनंत काल तक स्वयं दुःख भोगता है ।
हमको कही जाना है तो वही जो इस ज्ञान को रखता है ।
अन्यथा जीवन में महान हानि है इसमें कोई संदेह नहीं ।

क्या चुने अमृत या मृत्यु ...!














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