शिव रात्रि को एक अन्य दृष्टी से भी समझ सकते है | इस युगल शब्द में रात्रि शब्द पर विचार करे तो ज्ञात होगा की रात्रि ,दो शब्दों से बना है | रा + त्रि |संस्कृत भाषा में रा शब्द का तात्पर्य देना होता है | to give | त्रि को तीन की संख्या से सभी परिचित है | ये रात्रि अंधकार की सूचक केसे है | क्यों हम लोग ये शब्द प्रकाश के विपरीत अर्थ में प्रयुक्त करते है |वस्तुतः हम लोग संसार में अपनी अभिव्यक्ति इन तीन से करते है | हमारे अन्नमय ,प्राणमय और मनोमय कोष ये तीन ही सहायक होते है | ये तीन कोष ही देते है | व्यहवारिक जगत में | हमारी क्रिया ,हमारे संकल्प हमारे भाव इत्यादि |तब हम वस्तुतः रात्रि में ही जीते है | यहाँ कृष्ण भगवान के गीता के वचनों को याद किया जासकता है | जो सांसारिक लोगो के लिए दिवस है , वह वस्तुतः योगीओं के लिए रात्रि ही है | यहाँ गूढ़ अर्थ में यही अर्थ होता है की साधारणतः व्यक्ति इस अंधकार मय जीवन में जीता है | क्योंकि इन तीन कोशो को मात्र सर्वे सर्वा मानकर व्यक्ति विचरता है | परिणाम स्वरूप संसार में विडंबनाओ का पदे पदे सामना करना ही पड़ता है | अशांति और दुःख छुटाए नहीं छूटते | यह है रात्रि | जो अन्धकार से ओतप्रोत है | जो अज्ञान की सूचक मानी जाती है |परन्तु इन स्तरों को जब शिव से जोड़ा जाता है | जो परामानसिक स्तर है | वहां से कल्याणकारी धाराएं बह कर हमारी चेतना को संसार के लिए उपयुक्त बना देती है | तब शिव रात्रि सार्थक बन पड़ती है |ये जन जन के भीतर का मार्ग ही कल्याण का मार्ग बनता है , फिर रात्रि को मात्र रात्रि नहीं रहने देता उसे शिव स्वरूप बना देता है | ये तीनो कोष कल्याण कारी बनकर संसार में सुख का कारण बन जाते है |
Sunday, 10 March 2013
शिव रात्रि
Thursday, 7 March 2013
Miracle from the Yogis
In the early 1918 ShriTarniKant Thakur was living in Kashi.In his previous time he lived in Dhaka.He had many miraculous powers but did not show any other for manipulation.If you have in your fist some secret things then he could see easily in his closed eyes.And could tell some one what he had.Once a person who had the curiosity about the miracle went for this purpose to TarniKant Thakur.Shri TarniKant said to this person take a paper and torn it.He did likely.Then Tarnikant said ,write on this whatever what you want on each piece of the paper.He did .And these pieces were in his fist.Then TarniKant said to him," I closed my eyes and u take a piece step by step,I will tell what has been written in each piece."Yes Thakur was reading each piece of paper easily.It was reallyamazing.This person went to another Yogi Shri Vishuddhananda.And said about the miracle.Vishuddhananda said it is true but it goes further.He said ,'write some thing on the paper .' He wrote.Then Swami said,'Torn this paper and burn.' He did likely. Vishuddhanda gave the air to that ash of paper. That ashes got merge in air.Now Swami said ,"See under my pillow." He saw and got astonished.The same paper was with his writing there.There was the clearification that no thing can be destroyed in the Universe.It remains continue in other state some one can get it again many times.In this there is no miraculous event.It is the act of SatkaryaVaad of Sankhya.
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