कांग्रेस के संस्थापक ए ओ ह्युम जब इटावा में कलेक्टर थे सन 1857 में ,कुछ स्वतंत्रता सेनानी जसवंत नगर में इकठे होगये थे अंग्रेजी सेनाओ के विरुद्ध सेनानियो का विचार था इटावा को ब्रिटिश से मुक्त कराया जाय
इस बात की भनक ह्युम को हुई की क्रांतिकारी जसवंत नगर में इकट्ठे हुवे है तो पुरे सेनिक लबादे के साथ वहा पहुच गया आर्मी चीफ और कमांडर डेनिअल साथ था मार्ग में उसने अनेको भारतीयों की हत्याए की।
जसवंत नगर इटावा के पास जंगले में स्थित था क्रांतिकारी वहा मंदिर के पास मोर्चा संभाले हुवे थे । डेनिअल ने कंपनी को आदेश दिया की मंदिर को घेर ले और फायरिंग करे । उस मिलट्री ग्रुप में अनेको भारतीय भी थे उन्होंने मना कर दिया
इधर ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम वासियो को पता चला की क्रांतिकारी मुसीबत में है वे सभी टोली बना कर चले और मंदिर के चारो और जमा हो गये
कमांडर कूछ नहीं कर सका परन्तु उसमे ब्रिटिश फोज ने फायरिंग शुरू कर दी परन्तु उस मिशान में अंग्रेज सेनिक मारे गए ह्युम को जान बचानी भारी पड़ गयी
वह अन्धकार का फ़ायदा उठा कर जंगल से पास के गाँव के तरफ भागा ।
वहा पर अपने शरिर को काला रंग चढ़ा कर स्त्रियों के कपडे पहने और दम दबाकर रातो रात अँधेरे में भागना पडा ।
रामदेव के भागने में और ह्यूम के भागने में कोई अंतर नहीं है
एसा था कोंग्रेस स्थापन करता और एसा है कोंग्रेस से भगाया जाने वाला रामदेव